समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा आजाद भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई है।
विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे।
विधेयक में सभी धर्म-समुदायों की महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संपत्ति में समान अधिकार देते हुए सशक्त बनाया गया है। वहीं, बहुविवाह और बाल विवाह पर भी रोक लगाई गई है। अब ये विधेयक राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन मिलने के बाद कानून बन जाएगा। सीएम पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के तहत जाति, धर्म, क्षेत्र व ङ्क्षलग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। इससे पहले विपक्षी दलों कांग्रेस और बसपा की ओर से विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव सदन में ध्वनि मत से गिर गया।