उत्तराखंडनैनीताल

पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट दो मतदाता सूची में नाम वालों ने को कानूनी पचड़े में फंसाया

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्थानीय नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों के पंचायत चुनाव लड़ने या न लड़ने में संबंधित विवाद में स्पष्ट आदेश चाहने के बावत चुनाव आयोग के प्रार्थना पत्र पर कोई आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि 11 जुलाई को जारी आदेश उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के अनुसार है  इसलिये आयोग, पंचायत राज अधिनियम के पालन के लिये स्वयं जिम्मेदार है।

एक अनुमान के अनुसार राज्य में पंचायत चुनाव की मतदाता सूचियों में दो-दो निर्वाचक नामावली में नाम वाले करीब 20 से 30 प्रतिशत मतदाता हैं और ग्राम पंचायत, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य पदों के 100 से अधिक प्रत्याशी हैं। आयोग के सर्कुलर के बाद ऐसे प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार हो सके हैं। हाई कोर्ट के निर्णय से पूरी प्रक्रिया पर अघोषित तौर पर ब्रेक लग गया है।

11 जुलाई को मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चुनाव आयोग के 6 जुलाई को जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी सर्कुलर पर रोक लगा दी थी। आयोग ने इस सर्कुलर में कहा था कि जिन लोगों के नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हैं, उन्हें मतदान करने या चुनाव लड़ने से न रोका जाए।

आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि शनिवार और रविवार के अवकाश के चलते ऑनलइन आवेदन कर हाईकोर्ट से मामले में स्टे वेकेट करने अथवा स्पष्ट निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।

आयोग को ओर से कहा गया है कि कोर्ट के आदेश से चुनाव प्रक्रिया रुक गई है, जबकि आयोग अब तक की प्रक्रिया में काफी संसाधन व्यय कर चुका है। हाईकोर्ट में दायर इस प्रार्थना पत्र के आधार पर चुनाव आयोग ने आज से बंटने वाले चुनाव चिन्हों के आवंटन पर अपराह्न दो बजे तक रोक लगा दी थी।

Related Articles

Back to top button